प्रभु संकट उत्पादक नाम तोरो
प्रभु संकट उत्पादक नाम तोरो
लगभग 140 करोड़ के लोगों वाला देश है जिसमें सबेरे से रात तक देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम का भोंपू बजाया जाता है। हर छोटी से छोटी बात में राष्ट्र के प्रति समर्पण की बात की जाती है और केंद्र सरकार की हर कार्यवाही को राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की मिसाल बनाकर पेश किया जाता है। इस पूरे नैरेटिव पर भरोसा करने वाले महानगरों से लेकर सुदूर देहात तक में हैं जो दिन रात एक ही नाम का माला जपते रहते हैं।
अब आइए जरा एक तथ्य पर नजर दौड़ाई जाए। इस विशाल देश में सरकारी और गैरसरकारी मालिकाना वाले सैकड़ो मेडिकल कॉलेज हैं। हर साल हजारों छात्रों का दाखिला भी इन कॉलेजों में होता है। लेकिन इतनी भारी भरकम व्यवस्था और इतने घनघोर राष्ट्रवाद के बाद भी हमारी केंद्र सरकार जो फिलहाल तीन ट्रिलियन अपने देश की कीमत लगाती है उसमें इतनी भी राष्ट्रभक्ति नहीं है कि वह 20-22 हजार उन छात्रों को जो यूक्रेन में अपनी मेडिकल की पढ़ाई आधी अधूरी छोड़कर भारत आये, या राष्ट्रवादियों की भाषा में कहें तो हमारे नेता दो देशों के बीच के जंग को रुकवाकर उनको हिंदुस्तान वापस लाये, उन छात्रों को भारत में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने की व्यवस्था भी कर सकें। तीन ट्रिलियन की इकॉनमी, राष्ट्रवाद, और दुनिया के अमीरों की सूची में बढ़ते भारतीय, ये सब इतने खोखले हैं कि हमारी सरकार 20-22 हजार छात्रों को एडजस्ट नहीं कर सकी और सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट में कह दी कि ये काम सरकार का नहीं है। महान राष्ट्रवाद, राष्ट्रवादी सरकार और राष्ट्रवादी जनता को सलाम है कि उन्होंने अपने ही राष्ट्रों के नौजवानो को इस मोर्चे पर भी ठग लिया और फिर भी सीना फुलाये घूम रही है। जय विश्वगुरु , छात्रों का भविष्य चौपट करने के लिए प्रभु
को नहीं जानत है जग में
प्रभु संकट उत्पादक नाम तोरो।
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